Considerations To Know About shiv chalisa lyricsl
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पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
अर्थ- माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के shiv chalisa in hindi रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों Shiv chaisamore info में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
माँ री माँ मुझे मूरत ला दे, शिव शंकर की मूरत ला दे,
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥